जानें वर्ल्ड ओजोन दिवस का महत्व और इसके पीछे का इतिहास।

world-ozone-day-2020

पूरे विश्व में वर्ल्ड ओजोन दिवस 16 सितंबर को मनाया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को पृथ्वी और सूर्य के बीच हानिकारक अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाने और ओजोन परत के बारे में जागरूक करना है।

जब भी ओजोन परत बिगड़ता है तो इसका सीधा असर जलवायु पर होता है, जलवायु में परिवर्तन होता है। जलवायु में परिवर्तन होने के कारण धरती का तापमान लगातार बढ़ता जा रहा है। इसकी वजह से विश्वभर में कई तरह की बीमारियों ने जन्म ले लिया है। विश्वभर की इस गंभीर समस्या को देखते हुए ओजोन लेयर के संरक्षण के लिए जागरूकता अभियान भी चलाया जा रहा है।

हर साल पूरी दुनिया में विश्व ओजोन दिवस 16 सितंबर को मनाया जाता है। साथ ही लोगों को पर्यावरण और ओजोन परत के सरंक्षण के लिए अभियान चलाया जाता है और लोगों को जागरूक किया जाता है। हर साल अलग थीम बनाकर नए नए तरीकों से लोगों को ओजोन परत के बारे में बताया जाता है। 

ओजोन दिवस का महत्व
विश्व ओजोन दिवस का मौख्य उद्देश्य लोगों को ओजोन परत का महत्व समझाना है। इसके साथ ही सूर्य की अल्ट्रावॉयलेट किरणों से बचाव करना भी ज़रूरी है। ओजोन परत खतरे में ना पड़े इसके लिए किस तरह के उत्पादों का उपयोग करना चाहिए यह सभी जानकारी देने और लोगों को जागरूक करने के लिए विश्व ओजोन दिवस मनाया जाता है।

पहली बार ओजोन दिवस
सबसे पहले विश्व ओजोन दिवस 1995 में मनाया गया था। इसके मुख्य कारण लोगों को ओजोन परत के हमारे लिए ज़रूरत और इसके संरक्षण के लिए मनाया गया था। लोगों को यह बताया गया था कि किस तरह से हम ओजोन परत को सुरक्षित रख सकते हैं।

2020 में विश्व ओजोन दिवस का थीम
विश्व ओजोन दिवस 2020 का थीम, ‘जीवन के लिए ओजोन: ओजोन परत संरक्षण के 25 साल’। इस साल वैश्विक ओजोन दिवस को 25 साल पूरे हो गए। आज का थीम ‘जीवन के लिए Ozone’ इससे साफ पता लगाया जा सकता है की ओजोन हमारे जीवन के लिए कितना महत्व रखता है। इसके साथ ही हमे यह संकेत भी मिलता है कि हमें ओजोन परत का संरक्षण अपने साथ साथ अपनी भावी पीढ़ी के लिए भी करना है।

अल्ट्रावॉयलेट किरणों से नुकसान
अल्ट्रावॉयलेट किरण सूर्य की किरण ही है जो धरती पर पड़ती है। अल्ट्रावॉयलेट किरण में ऊर्जा बहुत ज़्यादा होती है। यह किरणे ओजोन परत को पतला करते जा रहे हैं। इन किरणों से चरम कैंसर जैसे बीमारी होती है। इन किरणों का असर आंखों पर बहुत ज़्यादा पड़ता है, जिसकी वजह से मोतियाबिंद भी हो जाता है। इसके अलावा हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी कम करता है। अल्ट्रावॉयलेट किरणे मानव शरीर के साथ जीव जंतुओं को भी नुक़सान पहुंचाती है। यह किरणें समुन्द्र के छोटे छोटे पौधों को भी प्रभावित करती हैं, इसके कारण मछलियों और अन्य जीवों के लिए खतरा पैदा हो जाता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here