युवक ने उतारा मन्दिर में अपना गुस्सा, कहा भिखारी की हालत बना कर रख दिया।

नई दिल्ली। घटना दिल्ली के पश्चिमपुरी इलाक़े से सामने आई है। एक युवक ने अपनी स्थिति का जिम्मेदार भगवान को ठहराया और मन्दिर परिसर में किया तोड़ फोड़।

लॉकडाउन के दौरान हुई परेशानियों का कहर अब तक बहुत से लोगों को झेलना पड़ रहा है। उन्हीं में से विक्की नाम का युवक भी शमिल है। विक्की ने इन सब का दोषी भगवान को माना और अपना गुस्सा मंदिर में जाके उतारा। 

दरअसल पश्चिमपुरी इलाके में माता वैष्णो देवी का मंदिर हैं। मंदिर का पुजारी जब सुबह 9 बजे करीब मंदिर खोलने पहुंचा तो देखा की मंदिर के बाहरी हिस्से में शिव जी मूर्ति थी वो सब टूटा हुआ था। पुजारी ने पुलिस थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाया। जिसके बाद पुलिस ने छानबीन शुरू कर दी। पुलिस छानबीन के दौरान 28 वर्षिय विक्की का हाथ सामने आया। पुलिस अधिकारियों ने विक्की को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस द्वारा पूछताछ पर विक्की ने बताया कि लॉकडाउन से पहले मेरा कबाड़ी का काम था। लेकिन लॉकडाउन के कारण मेरा सारा काम बर्बाद हो गया। मैंने मंदिर में जाकर भगवान से कहा था, कि मुझे भिखारी बना दिया। इसका बदला मैं जरूर लूंगा। इसीलिए मैंने मंदिर परिसर में ईटें पत्थर बरसाए। 

बता दें कि साल 2020 में हुए कोरोना के कहर के कारण पूरे विश्व भर में लॉकडाउन की स्तिथि बन गई थी। लगभाग पूरे दो महीने तक पूर्ण लॉकडाउन भी कर दिया गया था। फिर धीरे धीरे बहुत ही आवश्यक गतिविधियों की अनुमति दी गई थी। कोरोना महामारी के कारण पूरे विश्व में लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था। इसमें सबसे ज्यादा कठिनाई गरीब तबके और दिहाड़ी मजदूरों को झेलना पड़ा था। यातायात के साधन बंद हो जाने के कारण बहुत से लोगों ने अपने गांव जाने के लिए पैदल का सफर भी तय किया था। कई लोगों ने सड़क पर रातें गुजारी। विक्की भी इन परेशानियों में सफर करने वाला ही मुसाफिर है। जो अभी तक अपनी खराब आर्थिक स्तिथि में फंसा हुआ है। 

लोगोें के हालात कुछ सुधर ही रहे थे कि कोरोना का कहर फिर एक बार उफान पर है। कोरोना संक्रमण के केस एक बार फिर तेज़ी से बढ़ रहे हैं। जिसके कारण लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है। खासतौर पर दिहाड़ी मजदूर इस स्थिति से ज्यादा परेशान हैं। उनकी कमाई रोजमर्रा की मजदूरी पर निर्भर करता है। अगर कोरोना की स्थिति नियंत्रण में नहीं आई तो कहीं पहले जैसी स्थिति फिर न हो जाए। यह चिंताएं लोगों को परेशानी की ओर ढकेल रही हैं।

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