सोनिया गांधी ने राज्य इकाइयों में अंदरूनी कलह के बीच पार्टी नेताओं से आग्रह किया, कांग्रेस में अनुशासन, एकता की जरूरत।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी नेताओं को संबोधित करते हुए भाजपा और आरएसएस से लड़ने के लिए पार्टी में “अनुशासन और एकता की सर्वोपरि आवश्यकता” का आह्वान किया।

सोनिया गांधी ने मंगलवार को कांग्रेस महासचिवों, प्रदेश अध्यक्षों और अन्य नेताओं से बात करते हुए कहा, “हमें वैचारिक रूप से भाजपा/आरएसएस के शैतानी अभियान से लड़ना चाहिए। अगर हमें यह लड़ाई जीतनी है तो हमें दृढ़ विश्वास के साथ ऐसा करना चाहिए और लोगों के सामने उनके झूठ को बेनकाब करना चाहिए।”

अपनी बात आगे रखते हुए सोनिया गांधी ने आगे कहा कि, “एआईसीसी राष्ट्र के सामने आने वाले जरुरी मुद्दों पर लगभग हर दिन महत्वपूर्ण और विस्तृत बयान जारी करता है। लेकिन मेरा अनुभव कहता है कि वे ब्लॉक और जिला स्तर पर हमारे ग्रासरूट कैडर तक नहीं पहुंच पाते हैं। ऐसे नीतिगत मुद्दे हैं जिन पर मुझे हमारे राज्य स्तर के नेताओं के बीच भी स्पष्टता और सामंजस्य की कमी दिखती है।”

सोनिया गांधी ने ज़ोर देते हुए कहा, “मैं अनुशासन और एकता को सर्वोपरि आवश्यकता मानती हूँ और इस बात पर फिर से बल देना चाहूंगी। हम में से प्रत्येक के लिए जो मायने रखता है वह है संगठन की मजबूती। हमें व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं को ओवरराइड करना चाहिए। इसमें सामूहिक और व्यक्तिगत दोनों ही रूप से सफलता स्थापित है।”

उन्होंने ऐसे समय में पार्टी में अनुशासन और एकता का आह्वान किया जब कांग्रेस कई राज्यों में विद्रोह और आंतरिक संकट से जूझ रही है।

सोनिया गांधी ने भाजपा के नेतृत्व कर रही केंद्र सर्कार पर निशाना साधते हुए कहा,  “हमारा अपना इतिहास इस बात का गवाह है कि अगर किसी संगठन को अन्याय और असमानता के खिलाफ सफल होना है, अगर उसे किसी किनारे पर पड़े लोगों के अधिकारों का प्रभावी ढंग से समर्थन करना है, तो उसे जमीनी स्तर पर एक व्यापक आंदोलन बनना होगा। मोदी सरकार ने हमारी संस्थाओं को मिटाने की कोशिश की है ताकि वह जवाबदेही से खुद का बचाव कर सकें। इसने हमारे संविधान के मूल मूल्यों को कमजोर करने की कोशिश की है ताकि यह खुद को निचले स्तर पर रख सके। इसने हमारे लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर सवाल उठाया है।”

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