आगामी 5 अगस्त को राम मंदिर भूमिपूजन की तैयारियां युद्ध स्तर पर चल रहीं हैं। भूमिपूजन को लेकर कई तरह की चर्चाएँ गर्म हैं । कुछ लोग और संगठन इस बात पर ऐतराज कर रहे हैं कि कोरोना संकट के मुश्किल समय में प्राथमिकता बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं पर होनी चाहिए थी, न कि धरम-करम पर। कुछ लोग इस बात पर आपत्ति जता रहे हैं कि मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं इसलिए किसी धर्म विशेष के आयोजन में जाकर वे अपनी छवि को धूमिल कर रहे हैं। इन्हीं अटकलों, विरोधों और समर्थन के बीच 5 अगस्त को प्रस्तावित राम मंदिर के भूमिपूजन कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आयोजित करने की सारी तैयारियां पूरी की जा चुकीं हैं।
आमंत्रित गणमान्य लोगों की सूची में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत अनेक विशिष्ट व्यक्तियों के नाम शामिल हैं। आगंतुकों की फेहरिस्त को लेकर जो बात सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह ये है कि भाजपा में प्रखर हिंदूवादी चेहरे की विख्यात उमा भारती और कल्याण सिंह को तो भूमिपूजन के लिए निमंत्रण किया गया है लेकिन अभी तक राम मंदिर आंदोलन के अगुआ लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी को आमंत्रित नहीं किया गया है। उमा भारती और कल्याण सिंह ने इस बात की पुष्टि की है कि उन्हें भूमिपूजन के लिए अयोध्या आने का निमंत्रण मिल चुका है।
राम मंदिर आन्दोलन की अगुवाई करने वाले वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मुरली मनोहर जोशी को अब तक निमंत्रण नहीं मिलने से राम मंदिर भूमिपूजन के कार्यक्रम पर विवादों के बादल मंडराने लगे हैं। गौरतलब है कि मोदी काल में इन दोनों वरिष्ठ नेताओं की रानजीतिक तौर पर सक्रियता कम हो गयी है। राम मंदिर भूमिपूजन जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम में उनको आमंत्रित नहीं किये जाने से भाजपा साहित अन्य रानजीतिक दलों में इस बात पर चर्चाओं का दौर चल पड़ा है। यह भी कयास लगाया जा रहा है कि भूमिपूजन से ठीक पहले इन दोनों नेताओं को आमंत्रित कर लिया जाएगा। राजनीति के जानकार बताते हैं कि आडवाणी और जोशी को आमंत्रित नहीं करके राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट अपनी किरकिरी करवाने का जोखिम नहीं उठाएगा।