यह मामला चेन्नई के अदालत से सामने आया है। एक महिला ने अपने पड़ोसी युवक पर दुष्कर्म का इल्जाम लगाकर उसे बदनाम किया। झूठे मुक़दमे के कारण व्यक्ति को कई महीने जेल में भी गुजरने पड़े।
यह मामला चेन्नई से सामने आई है, युवक और महिला आपस में पड़ोसी थे। इनके माता पिता ने एक दूसरे के साथ इनका विवाह तय कर दिया था। कुछ समय बाद दोनों परिवारों में सम्पत्ति को लेकर विवाद छिड़ गया था। जिसके बाद युवक (संतोष) ने चेन्नई में ही कहीं और घर शिफ्ट कर लिया था।
संतोष ने चेन्नई के ही एक कॉलेज में बी-टेक कोर्स में दाखिला लिया था। एक साल बीता ही था कि, अचानक महिला की मां ने युवक के ऊपर अपनी बेटी के साथ दुष्कर्म किए जाने की शिकायत दर्ज की और संतोष के ऊपर इसका आरोप लगाया गया।
लड़की गर्भवती थी, इसी कारण महिला के परिवार वालों ने संतोष को शादी करने के लिए कहा लेकिन संतोष ने इस के लिए इनकार कर दिया। महिला के माता पिता ने युवक संतोष पर दुष्कर्म करने की तकरार थाने में लिखवा दिया।
संतोष के खिलाफ शिकायत दर्ज करने के बाद, चेन्नई पुलिस द्वारा संतोष को गिरफ्तार कर लिया। संतोष को लगभग 100 दिन जेल में गुजारने पड़े, इसके बाद 2012 में संतोष को बेल पर छुड़ाया गया। अदालत में यह मुकदमा काफी लांबा चला। पूरे सात साल संतोष को इन परेशानियों का सामना करना पड़ा।
जमानत पर जेल से छूटने के बाद संतोष ने मांग कि, की बच्चे का डीनए टेस्ट करवाया जाए। डीएनए टेस्ट के बाद यह साबित हो गया की बच्चा संतोष का नहीं था। जिस बच्चे के नाम पर संतोष को परेशान किया गया, बदनाम किया गया। इतना ही नहीं, इस कारण उसे जेल भी जाना पड़ा, वह बच्चा उसका नहीं था। डीएनए टेस्ट रिपोर्ट के बाद यह बात अदालत में साफ हो गई की लड़के को बेवजह परेशान किया जा रहा था। महिला द्वारा संतोष की ज़िन्दगी के साथ खिलवाड़ किया गया।
संतोष ने मानहानि का दावा करते हुए महिला और उसके परिवार पर मुकदमा दर्ज कर दिया। जिसमे महिला और उसके परिवार पर 15 लाख रुपए का जुर्माना भरने का आदेश जारी किया गया है। हालांकि संतोष द्वारा मानहानि के संदर्भ में 30 लाख रुपए का भुगतान करने की मांग की गति थी। लेकिन संतोष के वकील द्वारा उसे समझाया गया, बाद में इस मुआवजे की राशि 15 लाख रुपए तय की गई है।