गोरखपुर में हुए एक व्यवसायी की मौत के बाद 6 पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। इस हादसे में कथित रूप से मारपीट करने के बाद मारे गए कानपुर के व्यवसायी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसके शरीर पर गंभीर चोट के निशान पाए गए हैं। व्यवसायी के दाहिने हाथ, कलाई, सिर के मध्य और पलक पर।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक, मनीष गुप्ता के सिर के बीच में 5×4 सेंटीमीटर की चोट काफी गंभीर रूप से आयी है। उसके दाहिने हाथ पर डंडे के निशान मिले हैं और बायीं पलक पर चोट के निशान पाए गए हैं।
बता दें कि, रामगढ़ ताल थाने के थाना प्रभारी के साथ-साथ छह पुलिसकर्मियों को ससपेंड कर दिया गया है। उनके ऊपर हत्या का मामला भी दर्ज कर दिया गया है। हालांकि अब तक किसी की गिरफ्तारी नहीं की गई है।
“उत्तर प्रदेश पुलिस ने ट्वीट किया कि, “गोरखपुर की दुर्भाग्यपूर्ण घटना, जिसमें एक नागरिक की मौत हो गई, छह पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया है और उनके खिलाफ संबंधित धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की सही जांच पड़ताल कर गोरखपुर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
मिली जानकारी के अनुसार गोरखपुर के एक होटल में मंगलवार को छापेमारी की गई थी। उस दौरान 38 वर्षीय प्रॉपर्टी डीलर मनीष गुप्ता की मौत हो गई। बता दें कि, मनीष और उसके दो दोस्त होटल में ठहरे हुए थे। इस मौत के सन्दर्भ ने पुलिस ने पहले दावा किया था कि, मनीष गुप्ता नशे में था। उसके सिर में चोट लगने के कारण वह जमीन पर गिर गया था। जिसके बाद उसे बीआरडी मेडिकल कॉलेज ले जाया गया और वहीं इलाज़ के दौरान उसकी मौत हो गई।
पुलिस ने बताया कि, उन्हें सूचना मिली थी कि होटल में “संदिग्ध” लोग रह रहे थे। वे सोमवार की रात होटल के उस कमरे में दाखिल हुए जहां मनीष गुप्ता अपने दो दोस्तों के साथ ठहरे हुए थे। लेकिन इस दुर्घटना को पीड़ित परिवार के सदस्यों ने दावा किया कि पुलिसकर्मियों द्वारा हमला किए जाने के बाद ही मनीष गुप्ता की मौत हो गई।
पति की मौत पर पत्नी मीनाक्षी ने पुलिस और होटल के कर्मचारियों पर कवर अप का आरोप लगाया है। उसने कहा, “उस होटल में मेरे पति की हत्या कर दी गई थी, एक पुलिसकर्मी ने मेरे पति को मार डाला था। वह खून से लथपथ थे लेकिन घटनास्थल पर खून नहीं था। उसके दो दोस्तों ने कहा कि हर जगह खून था, लेकिन होटल के कर्मचारियों ने जुर्म को छुपाने के लिए साफ कर दिया।
पीड़ित परिवार ने अधिकारियों के सामने तीन मांगें रखी हैं, उन्होंने कहा मामले को कानपुर स्थानांतरित किया जाए; दूसरा, परिवार को मुआवजे के रूप में 50 लाख रुपये और राज्य सरकार द्वारा नौकरी दी जाए।
कानपुर के जिला मजिस्ट्रेट विशाख जी ने कहा कि, परिवार को 10 लाख रुपये दिए गए हैं और उनकी मांगों को उच्च अधिकारियों के समक्ष रखा जाएगा। पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे यूपी पुलिस के अधिकारियों का एक वीडियो वायरल हुआ है। वीडियो में अधिकारियों ने परिवार वालों से कहा कि कोर्ट में यह मामला लंबे समय तक चलने वाला है। वीडियो की सोशल मीडिया पर बहुत आलोचना हो रही है।
इस घटना के बाद से उत्तर प्रदेश में आक्रोश फैल गया है, विपक्ष ने कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा सरकार पर हमला बोला है।
कानपुर के डीएम विशाख अय्यर ने कहा कि, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरुवार को व्यवसायी के परिवार के सदस्यों से मिलेंगे। साथ ही योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार रात मीनाक्षी गुप्ता से बात कर उनके प्रति संवेदना व्यक्त की।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने तंज कसते हुए कहा कि यूपी पुलिस अपराधियों पर “नरम” और आम लोगों के साथ “क्रूर” व्यवहार करती है। इसके अलावा सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि, यह घटना राज्य सरकार की ‘एनकाउंटर कल्चर’ के नतीजे के कारण है। उन्होंने एक ट्वीट में कहा, “इसमें शामिल लोगों को दर्ज़ मुकदमे का सामना करना चाहिए, साथ ही राज्य को हिंसा के रास्ते पर धकेलने वालों को इस्तीफा दे देना चाहिए।”