होली में रंगों का रखें ध्यान, बीमारियों को न दें आमंत्रण, सिंथेटिक कलर बड़ी बीमारियों का बन सकते हैं कारण।

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रंगों का त्यौहार हिंदू धर्म में बहुत पुराने समय से चला आ रहा है। बहुत ही उत्साह के साथ हम अपने त्यौहारों को मनाते हैं। लेकिन कहीं आप अपनी खुशी को केमिकल के हाथों में तो नहीं सौंप रहे हैं। होली में जिन रंगों का इस्तेमाल आप करेंगें उसका विशेष ध्यान रखें। आज के समय में हम सिंथेटिक चीजों पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं। लेकिन रंगों के त्यौहार में न बरते लापरवाही। 

आइए आपको बताते हैं होली में किन रंगों के इस्तेमाल से आपको परहेज करना चाहिए और सही रंगों की पहचान किस तरह से करें।

नीला रंग/बैंगनी रंग
अगर आप होली के त्यौहार पर नीले रंग का इस्तेमाल करने वाले हैं तो आज ही विचार बदल लें। गहरे नीले रंग या बैंगनी रंग में क्रोमियम आयोडाइड केमिकल का इस्तेमाल हो सकने की संभावना बहुत ज्यादा होती है। क्रोमियम आयोडाईड स्किन एलर्जी का खतरा होता है। लोगों को इससे अस्थमा जैसी बीमारी का खतरा बन सकता है।

लाल रंग
आमतौर पर लोगों द्वारा होली में लाल रंग का इस्तेमाल किया ही जाता है। पर क्या आप जानते हैं, लाल रंग में मरक्यूरी सल्फेट कैमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इस कैमिकल के काफी घातक परिणाम हो सकते हैं। इसके इस्तेमाल से कैंसर और पैरालाइज होने का खतरा बढ़ जाता है।

हरा रंग
हरे में कॉपर सल्फेट नामक केमिकल मौजूद होते हैं। इसके इस्तेमाल से आंखों में खुजली, इन्फेक्शन या जलन होने की संभावना बहुत अधिक है। अगर आप होली पर हरा रंग लेने जा रहे हैं तो इसे अवॉइड करें।

सिल्वर रंग
आज कल मार्किट में सिल्वर कलर का चलन काफी बढ़ गया है। लेकिन यह काफी नुकसानदायक भी साबित हो सकता है। सिल्वर रंग में एल्यूमीनियम ब्रोमाइड नामक कैमिकल पाया जाता है। इससे कैंसर होने का खतरा है। 

काला रंग
काले रंग को इस्तेमाल में लाने से बचें, काले रंग में लेड ऑक्साइड पाया जाता है। इस कैमिकल का सीधा असर आपके किडनी और दिमाग पर पड़ सकता है। होली के त्यौहार में कोशिश करें की हर्बल रंगों का ही इस्तेमाल करें। आज के समय में सिंथेटिक रंगों से ही मार्किट चलता है। लेकिन अपने और अपनों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए आपको हर्बल रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। हालांकि हर्बल रंग थोड़े महंगे आते हैं। लेकिन इनका कोई खतरा नहीं होता है। 

हर्बल रंगों की पहचान कैसे करें
हर्बल रंग को छूने पर आपको दरदरा महसूस नहीं होगा। यह बेहद बारीक और सॉफ्ट होते हैं। इसके अलावा हर्बल रंगों में सिंथेटिक रंगों के मुकाबले चमक भी कम होती है। हर्बल रंगों की पहचान यह भी है कि, यह रंग अधिक खुशबूदार नहीं होते। अगर रंग गुलाब से बना हुआ है तो यह गुलाबी रंग का ही दिखाई भी पड़ेगा न की लाल रंग का। 
कुछ छोटी-छोटी बातों को ध्यान में रखकर आप रंगों की सही पहचान कर सकते हैं। और खुद का और अपने परिवार वालों के स्वास्थ्य का खयाल रख सकते हैं आप घर पर बनाएं रंगों का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

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