नोएडा में 25 km के लिए एंबुलेंस चालक ने कोविड पेशेंट के परिजनों से बडी रकम वसूली।

कोरोना वायरस ने देश भर में कोहराम मचा दिया है। तो वहीं दूसरी तरफ लोग इस स्तिथि में लोगों की मजबूरी का फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसे ही कई मामले देखने को और सुनने को मिल रहे हैं।

हाल ही की खबर है जब, उत्तर प्रदेश के नोएडा में एक एम्बुलेंस चालाक ने कोरोना संक्रमित मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए बड़ी रकम वसूली। महज 25 किलोमीटर के लिए परिजनों को 42000 रुपए का भुगतान करना पड़ा।

हालांकि अपनी मजबूरी के कारण परिजनों ने एंबुलेंस चालाक को पैसे तो दिए लेकिन बाद में पुलिस कंप्लेन भी की। जिसके बाद पुलिस ने गाड़ी का नंबर ट्रेस कर एंबुलेंस चालक को पकड़ लिया।

यह मामला दिल्ली हाईकोर्ट के अधिवक्ता असित के घर की है। असित बीते दिनों कोरोना संक्रमित हो गया था। साथ ही परिवार के अन्य सदस्यों भी कोरोना के चपेट में आ गए थे। इसलिए असित का छोटा भाई विष्णु देखभाल के लिए अपने घर नोएडा सेक्टर 50 पर ले आए थे। जिसके बाद सोमवार को अचानक तबियत ज्यादा बिगड़ जाने के कारण असित को हॉस्पिटल ले जाने की नौबत आ गई। 

हॉस्पिटल ले जाने के लिए विष्णु ने एम्बुलेंस हेल्पलाइन नंबर पर कॉल कर एम्बुलेंस का अरेंज किया और प्राइवेट एम्बुलेंस उनके घर पहुंची। मरीज को प्राइवेट एम्बुलेंस में विष्णु ग्रेटर नोएडा के शारदा अस्पताल में पहुंचा। लेकिन वहां बेड खाली न होने के कारण मरीज को प्रकाश हॉस्पिटल ले जाया गया। लेकिन वहां भी बेड खाली नहीं था। जिसके कारण विष्णु अपने कोरोना संक्रमित भाई को नोएडा के यथार्थ अस्पताल ले आए। 

अस्पताल के चक्कर काटने के दौरान एम्बुलेंस लगभग 25km की दूरी तय की थी। जिसके बाद एम्बुलेंस चालाक ने 42 हजार रुपए किराया बताया। एमरजेंसी के कारण बात को आगे न बढ़ते हुए मजबूरी में विष्णु ने 42 हजार रुपए का भुगतान किया। विष्णु ने 40000 रूपए पेटीएम के द्वारा और 2000 रुपए कैश दिए।

विष्णु ने भाई को अस्पताल में भर्ती करने के बाद नोएडा के पुलिस स्टेशन में कंप्लेन दर्ज करवाई। जिसके बाद पुलिस ने एंबुलेंस का नंबर ट्रेस कर ड्राइवर को पकड़ लिया। ड्राइवर ने अपनी गलती मान कर किराए की राशी रख कर बाकी की रकम वापस कर दी। 

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