बिल्ली को पालना पड़ गया महंगा, बच्ची की आंखों कि रोशनी गई।

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बिल्ली को पालना पड़ा महंगा, बच्ची की आंख हुई खराब। आठ साल की मासूम बच्ची की आंखों की रोशनी हुई खत्म। 
घंटाघर के रहने वाले एक परिवार ने तीन देसी बिल्ली को पाला था। दंपति के घर में पिछले कई सालों से यह बिल्लियां थी। इनकी बेटी लगभग दो से तीन साल की उम्र से ही बिल्ली के साथ खेल रही है। लेकिन पिछले साल 2020 के जून महीने में बच्ची की दाहिनी आंख चली गई। एक दिन बच्ची सो कर उठी तो उसे एक आंख से काफी धुंधला दिख रहा था। फिर धीरे-धीरे आंखें लाल होने लगी और आंख की रोशनी चली गई। डॉक्टर को दिखाने पर, डॉक्टर को लगा कोई साधारण बीमारी है। जिसके अनुसार डॉक्टर ने उपचार किया और दावाई दे दी। कई दिन दवाई खाने के बावजूद कोई फर्क नहीं पड़ा। जिसके बाद परिवार अपनी बेटी को दिल्ली के एम्स (AIIMS) ले आया।

राजधानी दिल्ली के एम्स के नेत्र रोग विभाग में बच्ची को इलाज के लिए लाया गया। नेत्र विभागाध्यक्ष डॉ परवेज खान द्वारा कुछ जांच करवाई गई। साथ ही बच्ची के खान-पान, रहन-सहन के बारे में डॉक्टर ने पूछताछ की। बच्ची के बिल्ली के साथ खेलने की बात सामने आई। डॉक्टर ने बिल्ली से होने वाली बीमारी “टोक्सोप्लाज्मोसिस” की आशंका जताई। जांच के बाद इस बीमारी की पुष्टि भी की गई। डॉक्टर ने बताया टीनिया केंडिस परजीवी का ख़तरनाक संक्रमण है। ऑप्टिकल कोहरेंस टोमोग्राफी की जांच से पता चला कि बच्ची के दाहिने आंख का पर्दा उखड़ गया है। इस बीमारी को काबू करने के लिए कुछ स्टेरॉइड और एंटीपैरासाइट दवाइयों का इस्तेमाल किया गया। अब बच्ची की आंख पहले से ठीक हो रही हैं।

डॉक्टर ने बताया “टोक्सो – पैराकेनिस” बीमारी का यह पूरे देश में तीसरा केस है। यह बीमारी बिल्ली के मल से फैलती है। विशेषज्ञों ने इस केस की स्टडी के लिए अमेरिकन जर्नल को भेज दिया है। बिल्ली के मल से होने वाली इस गम्भीर बीमारी से आठ साल की मासूम बच्ची ग्रसित हो गई थी। जिसके कारण उसकी दाहिने आंख का पर्दा उखड़ गया था। हालांकि लंबे उपचार के बाद अब धीरे-धीरे बच्ची की आंख की रौशनी वापस आने लगी है। लगभग 6 महीने से ज़्यादा समय से बच्ची का इलाज एम्स से चल रहा है। बच्ची की आंख का ऑपरेशन नहीं करना पड़ा। दवाइयों से ही बच्ची की आंख की रोशनी वापस आ रही है।

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