गंगा में डूबे 20 लोगों की अब तक कोई खबर नहीं, हाईटेंशन तार से टकराई थी नाव।

वैशाली के राघोपुर प्रखंड में हुआ हादसा। हाईटेंशन तार की चपेट में आएं दर्जनों लोग। कई लोग अब तक लापता। 

शनिवार की रात में राघोपुर प्रखंड में गंगा नदी में दर्जनों यात्रियों से भरी नाव हाईटेंशन तार की चपेट में आ गई। इस घटनाक्रम के दौरान तकरीबन तीन दर्जन लोग इस घटना के शिकार हो गए। जिनमें से तकरीबन 18 से 20 लोगों की ख़बर अब तक नहीं लग पाई है।

घटना के शिकार हुए यात्रियों को पटना के फतुहा क्षेत्र के अस्पतालों में भर्ती करवाया गया है। घायल यात्रियों को अलग अलग अस्पताल में एडमिट करवाया गया है। फिलहाल यात्रियों का उपचार जारी है। 

इस दुखद हादसे में पटना के प्रशासन की सीधे सीधे लापरवाही देखने को मिली है। घायलों से बात करने पर घटना की पूरी कहानी सामने आई है। जिला वैशाली के राघोपुर निवासी वीरेंद्र दास से जो की काफी गम्भीर रूप से जख्मी हुए थे। उन्होंने बताया कि वह वैशाली जिले में मजदूरी का काम करते हैं। रोज की ही तरह वह शनिवार की रात पटना के कच्ची दरगाह इलाके से नाव पर सवार होकर अपने घर राघोपुर जाने के लिए सवार हुए थे। 

वीरेंद्र दास ने बताया कि, उनके साथ नाव में करीब 150 लोग और मौजूद थे। गंगा नदी के बीच पहुंचने के दौरान, जलस्तर ऊंचा जीने के कारण नाव हाईटेंशन तार से टकरा गई।

इस हादसे के शिकार हुए वीरेंद्र दास के शरीर पर जलने के बहुत सारे निशान हैं। इसके आलावा उनके सिर पर भी गहरी चोट भी आई है। एक अन्य घायल रुदल दास ने घटना के बारे बताया कि, गंगा नदी के पानी की लहर बहुत तेजी से उठ रही थी। इसी दौरान नाव की पतवार हाईटेंशन तार से टकरा गई।

राघोपुर नाव हादसे में हुए लापता लोगों की जानकारी पटना प्रशासन के पास नहीं है। यहां तक कि प्रशासन को इसकी भी जानकारी नहीं है की नाव में कुल कितने लोग सवार थे। प्रशासन का कहना है कि, इस घटना के बाद हमने अब तक तकरीबन 38 लोगों से संपर्क किया है। जो की नाव में मौजूद थे उनमें से कुछ लोग घायल हैं, कुछ लोग सही सलामत हैं। 

प्रशासन का कहना है कि हमने लोगों से बातचीत की है लेकिन सही तरह से कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है कि, आखिर नाव में कितने लोग सवार थे। पटना एसडीओ का कहना है की अभी लापता लोगों की तलाश एनडीआरएफ की टीम कर रही है।

इस घटना के संदर्भ में साफ तौर से पटना प्रशासन की लापरवाही देखी जा रही है। हालांकि सवाल यह उठता है की पाबंदी लगाने के बावजूद शाम 5 बजे के बाद गंगा नदी में नाव परिचालन क्यों किया जा रहा था और इसकी मंजूरी कैसे मिली?

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