कृषि कानूनों की वापसी को लेकर किसानों ने लिखित में की ये 6 डिमांड, किसान और केंद्र सरकार के बीच चौथा दौर

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नई दिल्ली। कृषि कानूनों को लेकर किसान ओर केंद्र सरकार के बीच बातचीत का यह चौथा दौर जारी है। अब तक तीन बार इस विषय में केंद्र सरकार किसानों से वार्तालाप कर चुकी है। लेकिन किसी तरह का कोई हल नहीं निकल पाया है।

कृषि कानून की वापसी को लेकर किसानों ने आंदोलन जारी है। किसानों का केंद्र सरकार के साथ 1 दिसंबर को आखिरी बार बातचीत का दौर चला था। अब आज गुरुवार को चौथा दौर शुरू होगा। गौरतलब है कि सरकार पूरी कोशिश में है किसानों को कृषि कानून मनवाने के लिए। लेकिन किसानों को यह मंजूर नहीं है। पहले की तीन बैठक में किसानों की बात पूरी नहीं हो पाई थी। इसीलिए किसानों ने लिखित में अपने डिमांड की लिस्ट सरकार को दी है। अब देखना ये है कि, कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार क्या फैसला लेती है और किसानों की सहमति होती है कि नहीं।

किसानों द्वारा दी गई लिखित लिस्ट में की गयी हैं ये डिमांड।

  1. लागू किए गए तीनों कृषि नियमों को वापस लिया जाए।
  2. सभी किसानों के लिए MSP का कानून लागू किया जाए।
  3. MSP को स्थायी करने ले लिए स्वामीनाथन फॉर्मूला अप्लाई किया जाए।
  4. खेती के लिए डीजल के दामों में 50 फीसदी की कटौती की जाए।
  5. एनसीआर में प्रदूषण एक्ट के बदले गए नियम को वापस लिया जाए।
  6. किसान नेताओं, कवियों और वकीलों और एक्टिविस्ट पर जो केस दर्ज किए गए हैं उन्हें वापस लिया जाए।

इन 6 डिमांड की लिस्ट तैयार कर किसानों ने केंद्र सरकार को दी है। साथ ही किसानों ने यह भी कहा कि हमारी मागें पूरी नहीं की गई तो हमारा यह आंदोलन आक्रामक भी हो सकता है। किसानों ने अपनी लिस्ट थमाते हुए कहा कि हम इसकी गारंटी चाहते हैं। अन्यथा हमारा आंदोलन क्या रूप ले सकता है और उसका अंजाम क्या होगा, किसी को नहीं पता।

आज के बैठक से पहले कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और पीयूष गोयल की गृह मंत्री अमित शाह से इस बारे में वार्तालाप हो चुकी है। कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने अमित शाह को किसानों की मांगों को विस्तृत सूचना दी है। ऐसा कहा जा सकता है कि सरकार एमएसपी के मसले में किसानों को भरोसा दिला सकती है। इसके अलावा कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर का कहना है कि आज के चौथे दौरे में उम्मीद है कि किसानों और सरकार दोनों को कि साकारात्मक नतीजे मिल सकते हैं।

कृषि नियमों के खिलाफ शुरू हुआ ये आंदोलन पंजाब से लेकर दिल्ली तक पहुंच गया है। साथ ही अन्य जिलों के किसान भी इसका समर्थन करने मै जुटे हुए हैं। अब तक यह किसान आंदोलन पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश तक ही था, लेकिन अब गुजरात के किसान भी इस आंदोलन में शामिल हो चुके हैं। किसानों के इस आंदोलन में कांग्रेस नेता राहुल गांधी किसानों का समर्थन कर रहे हैं। इसी पर राहुल गांधी ने किसानों का साथ देते हुए ट्विटर के जरिए कहा, काले कृषि नियमों का पूर्ण रूप से रद्द करने से कम कुछ भी स्वीकार करना भारत ओर उसके किसानों के लिए विश्वासघात के समान होगा।

इसके अलावा कृषि आंदोलन को लेकर प्रियंका गांधी ने भी किसानों का समर्थन किया है और इसी के साथ वह सरकार पर हमलावर बनी हुई हैं। कई अन्य राजनीतिक दलों की लगातार किसानों से मुलाकात का सिलसिला जारी है।

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