भारत में कोरोना वायरस के मामलों में लगातार वृद्धि के साथ ही ब्लैक फंगस या म्यूकोमाइकोर्टिसिस के भी कई मामले सामने आये। जिसे मृत्यु का कारण माना जाता है। हालाँकि विशेज्ञों के अनुसार इसके बहुत काम मामले ही देखे गए थे, लेकिन अब ब्लैक फंगस के कई मामले सामने आये हैं। जिसके कारण स्तिथि काफी नाजुक बनी हुई है। यह ब्लैक फंगस कोरोना मरीजों के लिए बहुत ज़्यादा घातक है।
कोरोना माहमारी के साथ ब्लैक फंगस तो था ही, इसी के साथ अब नयी परेशानी भी है। इस परेशानी का नाम है वाइट फंगस। वाइट फंगस के मामलों के कारण विशेषज्ञ भी काफी चकित हो गए। बता दें की, वाइट फंगस के मामले बिहार से सामने आये हैं। डॉक्टरों की माने तो यह वाइट फंगस ब्लैक फंगस से कई ज़्यादा खतरनाक है।
हालांकि अभी तक इस बात की पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है कि, यह फंगस कितना ज़्यादा खतरनाक होगा। विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार सफ़ेद फंगस ब्लैक फंगस से ज़्यादा खतरनाक हो सकता है। बता दें कि, अब तक बिहार राज्य से सफ़ेद फंगस संक्रमण के 4 मामले सामने आ चुके हैं। जो की कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे।
डॉक्टरों का कहना है कि, सफ़ेद फंगस संक्रमित मरीजों को ज़्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। वाइट फंगस फेफड़ों, गुर्दों, निजी अंगों, पेट, आँतों और नाखून पैर पर वार करता है। साथ ही व्यापक संक्रमण का कारण भी बनता है।
ब्लैक फंगस इतना खतरनाक है कि इसके कारण मौत होने की सम्भावना ज़्यादा बढ़ जाती है। हालाँकि वाइट फंगस को इससे ज़्यादा खतरनाक माना जा रहा है। लेकिन यह अभी कह पाना मुश्किल है कि, आखिर कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस से सफ़ेद फंगस।
जानकारी के लिए बता दें, वाइट फंगस शरीर के ज़रूरी अंगो पर असर डालता है। इसके कारण साइनस और फेफड़ों पर ज़्यादा प्रभाव पड़ता है। गौरतलब है कि वाइट फंगस संक्रमित मरीजों में कोविड-19 जैस ही लक्षण थे, लेकिन उनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव थी। इसीलिए डॉक्टरों का कहना है कि इसकी जाँच के लिए एचआरसीटी स्कैन परिक्षण करने की ज़रूरत हो सकती है।
ऐसा भी माना जा रहा है कि, वाइट फंगस के संक्रमण का खतरा बच्चों और गर्भवती महिलाओं में ज़्यादा देखने को मिल सकता है। विशेषज्ञों की माने तो पर्यावरण की सफाई पर ध्यान देने की आवश्यकता है।