कोरोना महामारी में इस्तेमाल किए गए उपकरणों से अब तक 18000 टन कचड़ा हुआ इक्कठा।

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पिछले 8 महीनों से देश कोरोना महामारी से परेशान है। इसके बचाव के लिए उपयोग में लाए गए उपकरणो से तकरीबन 18000 टन कचरा जमा हुआ है। हालांकि इसमें सबसे ज़्यादा योगदान महाराष्ट्र ने दिया है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा मिली जानकारी के अनुसार महज पिछले कुछ महीनों में कोविड-19 से 18000 टन बायोमेडिकल कचरा जमा हुआ है। जून से लेकर अब तक सबसे ज़्यादा वेस्ट सितंबर के माह में हुआ है।

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कहना है इसमें कोविड- 19 के दौरान इस्तेमाल कि गई सामग्री जैसे, पीपीई किट, मास्क, ग्लव्स, जूते कवर, सिरिंज, ब्लड बैग, सुई आदि दूषित वस्तुएं सम्मिलित थी। इन आंकड़ों में महाराष्ट्र का नाम सबसे ऊपर हैं। 

इन आंकड़ों के अनुसार बीते चार महीनों में महाराष्ट्र से लगभग 3580 टन बायोमेडिकल कचरा जमा हुआ है, तमिलनाडु में तकरीबन 1700 टन, वहीं गुजरात में 1658 टन, केरल में 1515 टन, उत्तरप्रदेश में 1415 टन और दिल्ली में तकरीबन 1400 टन कोविड-19 बायोमेडिकल कचरा इक्कठा हुआ है। 1300 कुछ टन कचरा कर्नाटका में और सबसे कम बायोमेडिकल कचरा पश्चिम बंगाल में इक्कट्ठा हुआ है जो की लगभग 1000 टन के आस पास है।

प्रदूषण नियंत्रण केंद्र का कहना है कि बीते चार महीनों में जून से सितंबर तक, सबसे ज़्यादा कचरा सितंबर माह में हुआ है। जो की 5490 टन है। फिलहाल 195 इकाइया बनाई गईं हैं, जिसके द्वारा सावधानी पूर्वक कोविड 19 बायोमेडिकल कचरे का निस्तारण किया जा रहा है।

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