वैदिक परम्पराओं के मुताविक खोला गया भगवान बद्री विशाल का कपाट और सोशल डिस्टैन्सिंग का रखा गया विशेष ख्याल

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भगवान बदरीनाथ धाम में मंदिर के कपाट 15 मई सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर वेद मंत्रों की ध्वनि के साथ खोल दिए गए। कपाट खोले जाने से पूर्व भगवान बदरी विशाल के मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया था। कपाट खोलने के दौरान वहां पर सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए मुख्य पुजारी रावल के साथ 27 लोग ही मौजूद थे। ऐसा पहला मौका है जब कपाट खुलने के दौरान इतनी सीमित संख्या में लोग मौजूद रहे हैं। इस अवसर पर रावल, धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, सीमित संख्या में ही हक हकूकधारी और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे। वहीं मंदिर के आस पास के क्षेत्र को कपाट खुलने से पूर्व और बाद तक भी लगातार सैनेटाइज किया जा रहा है।

बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी पंडित भुवन चंद्र उनियाल ने जानकारी देते हुये बताया मेष लग्न और कुभ्म की चंद्रमा के शुभ मुहूर्त पर भगवान के द्वार खोले गए। इस दौरान सबसे पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के द्वार खोले गए। वेद मंत्रों की ध्वनि के साथ कपाट खोले जाने की पूरी परंपरा को निभाया गया। द्वार के ताले की चाबी देवस्थानम बोर्ड के द्वारा खोली गई। जिसके बाद मंदिर के गर्भ गृह के द्वार के कपाट खुले। इसके ताले की अलग चाबियां थीं। जिनमें से एक देवस्थानम बोर्ड और परम्परागत रूप से हक हकूक धारियों के द्वारा खोली गई।

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