जाने क्या कनेक्शन है रावण का नोएडा स्थित बिसरख से।

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क्या आप जानते हैं ग्रेटर नोएडा वेस्ट में स्तिथ बिसरख गांव को रावण की जन्मस्थली माना जाता है।

आपको बात दें कि, बिसरख गांव को रावण का जन्मस्थल मना जाता है। इस गांव में रावण का पुतला कभी दहन नहीं किया जाता था। पूर्व में जब भी ग्रामीणों ने रावण का पुतला दहन किया, तो कुछ न कुछ अशुभ हो जाता था। इतना ही नहीं, बिसरख में रामलीला का मंचन भी कभी नहीं किया जाता था।

बिसरख गांव के लोग भगवान श्री राम को अपना आदर्श मानते हैं। उनकी पूजा अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करते हैं, लेकिन कभी भी रावण का पुतला दहन नहीं करते थे। ग्रामीणों को भगवान राम में बहुत आस्था है परन्तु ये रावण को गलत नहीं मानते थे। इसी कारण से ग्रामीण दशहरे का पर्व हर्षोल्लास के साथ नहीं मनाते थे। बुराई को हरा कर अच्छाई की जीत की खुशी मनाने का दिन होता है दशहरा। मगर रावण जन्मभूमि में आस्था रखने वाले ग्रामीण इस त्योहार को प्रसन्नता के साथ नहीं मनाते थे।

नहीं रहा अब डर, लोगों की सोच में हो रहा बदलाव।

हालांकि जिस तरह का माहौल बिसरख गांव में देखने को मिलता था अब ऐसा नहीं होता है। पहले विजयदशमी के अवसर पर पूरे गांव में मातम सा छाया रहता था। अब लोग जागरूक हो चुके हैं, अपने सोच को समय के साथ बदल रहे हैं। अब इस गांव के लोगों को किसी का डर नहीं है। यहां पर ग्रामीण अब रामलीला मंच का आयोजन भी करते हैं साथ ही बढ़ चढ़कर इस कार्यक्रम में हिस्सा भी लेते हैं। अब इस गांव में विजयदशमी भी बहुत खुशी से मनाई जाती है और रावण का पुतला दहन से भी कोई परहेज़ नहीं है।

ऐसी मान्यता है कि रावण के पिता ऋषि विश्रवा ने यहां अष्टभुजाधारी शिवलिंग की स्थापना की थी। इसके बारे में पुराणों में भी बताया गया है। यह वही शिवलिंग है जहां पे ऋषि विश्रवा बैठ कर महा तपस्या किया करते थे और तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने ऋषि को वरदान दिया था और जिसके बाद ही रावण का जन्म हुआ था। इस गांव का नाम भी ऋषि के नाम पर बिसरख पड़ा था। इतना ही नहीं मंदिर के पूजारी का मानना है पूरे हरिद्वार तक में ऐसा शिवलिंग नहीं मिलेगा।

ऐसा बताया जाता है कि, एक जाने माने तांत्रिक चंद्रास्वामी ने 1984 में मंदिर में खुदाई करवाई थी। 20 मीटर तक खुदाई करवाने के बाद भी शिवलिंग का कोई छोर नहीं मिल पाया था। इसके अलावा खुदाई के दौरान एक 24 मुखी शंख मिला था जिसे तांत्रिक अपने साथ ले गए थे। आपको बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर इस मंदिर में पूजा अर्चना कर चुके हैं। इस मंदिर कि मान्यता है कि यहां जो भी इंसान पूजा प्राथना करता है उसकी मनोकामना ज़रूर पूर्ण होती है। हालांकि अब बिसरख गांव निवासी बड़े ही धूमधाम से विजयदशमी का त्योहार मनाते हैं।

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