अक्सर देखा जाता है कि जब लोग अपनी नौकरी बदलते है तो वो काफी छोटी बड़ी गलती करते है। उन गलतियों में से एक है कि अपना पुराना ईएसआईसी नंबर अपने नए एम्प्लायर को न देना और नया ईएसआईसी कार्ड बनवा लेना। जो की उन लोगों के लिए काफी नुकसान दायक साबित होता है। आइए जानते है कि इस वजह से उनको किस किस प्रकार की असुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है।
कर्मचारी राज्य बिमा निगम (ESIC) की स्थापना सन 1948 में श्रमिकों को बेहतर स्वस्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के लिए की गयी थी। ईएसआईसी न केवल श्रमिकों बल्कि उन पर आश्रित उनके परिवार वालो को भी स्वस्थ्य सुविधाओं का लाभ देता है। ईएसआईसी श्रमिक के ख़राब स्वस्थ्य के वजह से ली गयी छुट्टी की वजह से हुई तनख्वा के नुकसान की भी पूर्ति करता है अगर श्रमिक उसके लिए आवेदन करे, अस्थायी विकलांगता लाभ टीडीबी, विस्तारित बीमारी लाभ, बढ़ी बीमारी लाभ, मातृत्व लाभ, स्थायी विकलांगता लाभ, क्रिया कर्म व्यय और श्रमिक की अकस्माक मृत्यु की स्थिति में उस पर आश्रित नामित परिवार के सदस्यों को पेंशन की सुविधा भी देता है। ईएसआईसी द्वारा दिए गए लाभों के बारे में अधिक जानकारी के लिए https://www.esic.in/hi/web/esic/benefits पर क्लिक सकते है।
किन्तु इन सभी सुविधाओं का लाभ लेने के लिए ईएसआईसी द्वारा कुछ समय सीमा तय की गयी है। जैसे की कुछ सुविधाओं का लाभ लेने के लिए आपको 6 महीनें से ईएसआईसी के सदस्य होना आवश्यक है और कुछ के लिए 1 वर्ष और कुछ के लिए 2 वर्ष से ईएसआईसी का सदस्य होना आवश्यक है। अगर नौकरी बदलते समय श्रमिक अपना पुराना ईएसआईसी नंबर अपने नए एम्प्लायर को देता है तो नया एम्प्लायर उसके पुराने ईएसआईसी नंबर को ही कंपनी के ईएसआईसी कोड से जोड़ देता है जिस से श्रमिक लगातार ईएसआईसी का सदस्य रहता है और अपनी कार्यकाल के अनुसार वह ईएसआईसी द्वारा प्रदान सभी सुविधाओं का बिना किसी कष्ट के उपयोग कर सकता है।
वहीँ आगर श्रमिक अपना पुराना ईएसआईसी नंबर नए एम्प्लायर को नहीं देता उस स्थिति में नया एम्प्लायर उसका नया ईएसआईसी नंबर बना देता है जिसमे उस श्रमिक के पुराने अंशदान की कोई जानकारी नहीं होती। और अगर श्रमिक को आपात स्थिति में ईएसआईसी सुविधाओं का उपयोग करना हो तो उसे काफी कष्टो का सामना करना पड़ सकता है। इस लिए जब भी आप अपनी पुरानी कंपनी को छोड़ कर नयी कंपनी ज्वाइन करते है तो अपना पुराना ईएसआईसी नंबर देना न भूले।
Hii sir