दिल्ली में बढ़ता प्रदूषण, जानलेवा बीमारियों का संकेत, क्या एयर प्यूरीफायर एक मात्र रास्ता?

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बीते पांच दिनों में दिल्ली की हवा बहुत ही ज़्यादा प्रदूषित हुई है। प्रदूषक हवा की क्वालिटी 2.5 पीएम तक पहुंच चुकी है जो की बेहद ही ज़्यादा नुकसानदायक है। 

बीते पांच दिनों में लगातार प्रदूषण का बढ़ना काफी चिंता का विषय है। इस प्रदूषित हवा में सांस लेने का मतलब है, नई जानलेवा बीमारियों को आमंत्रित करना। जो लोग पहले से सांस की समस्या से परेशान हैं या जिन्हें अस्थमा जैसी बीमारी है उनके लिए प्रदूषित वायु में सांस लेना किसी बहुत बड़े खतरे का सामना करने के समान ही है। इतना ही नहीं दिल्ली कि हवा इतनी ज़्यादा विषैली हो चुकी है कि स्वस्थ व्यक्ति भी इस हवा में सांस लेकर आसानी से बीमार पड़ सकता है।

हालांकि यह पहली बार नहीं है, जब नवंबर के महीने की शुरुआत में हीं प्रदूषण का खतरा उच्चतम दर पर पहुंच गया हो। पिछले कई सालों से सिलसिला चलता आ रहा है। गौरतलब है कि बीते बहुत से सालों में प्रदूषित हवा की यह दर लगातार बढ़ती ही गई है। इस दर में कोई कमी देखने को नहीं मिली है। यही है चिंता का कारण। विशेषज्ञों की मानें तो इसका एक मात्र तरीका है प्रदूषण का ठीक होना। वातावरण को ठीक करना।

लंग कैंसर स्पेशलिस्ट डॉ अरविंद कुमार ने बताया कि पिछले साल बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण 28 वर्षीय महिला को लंग कैंसर हो गया था। उस महिला ने कभी भी सिगरेट, शराब, आदि का सेवन नहीं किया था। डॉक्टर की माने तो, अगर इसी तरह प्रदूषण का सिलसिला बढ़ता रहा तो लंग कैंसर के केस उत्तर भारत इलाके में बहुत ज़्यादा देखने को मिल सकते हैं।

ऐसी स्तिथि में ध्यान देने वाली बात यह है कि इसके लिए समाधान क्या है?

दिल्ली के वातावरण को देखते हुए एयर प्यूरीफायर की बिक्री ज़्यादा बढ़ गई है। लेकिन क्या प्रदूषित हवा से बचने के लिए एयर प्यूरीफायर एकमात्र कारगर उपाय है? क्या एयर प्यूरीफायर की मदद से इससे बचा जा सकता है?
गंगा राम हॉस्पिटल के लंग स्पेशलिस्ट डॉ अरविंद कुमार समेत अन्य कई विशेषज्ञों के मुताबिक वायु प्रदूषण से बचाव के लिए एयर प्यूरीफायर सही समाधान नहीं है। मार्केट में एयर प्यूरीफायर की डिमांड तो बढ़ गई है। मार्केट में यह उपकरण 5000 रुपए से लेकर 50000 रुपय तक की कीमत पर उपलब्ध है। 

एयर प्यूरीफायर खरीदने से पहले हमें इस बात का ख्याल रखना होगा कि आप किस कंपनी का एयर प्यूरीफायर खरीद रहे हैं। इसकी गुणवत्ता क्या है। इसकी एफिशिएंसी कितनी है। इन सभी बातों का ध्यान रखना जरूरी है। इसके लिए हमारे घर में सही वेंटिलेशन होना भी जरूरी है। ताकि घर में बाहर की हवा आए जिसे एयर प्यूरीफायर शुद्ध कर सके। ये बात तो तय है एयर प्यूरीफायर हमें ऑक्सीजन नहीं देगा, इसका काम होगा प्रदूषित हवा को साफ करना। इसके बाद ही पता चलेगा कि एयर प्युरीफिकेशन कितना ज़्यादा कामगार साबित होगा। लेकिन यह तो सिर्फ घर में ही आपको थोड़ी सुरक्षा प्रदान कर सकता है। आप घर से बाहर निकलेंगे तो आपको प्रदूषित वायु में ही सांस लेना पड़ेगा। इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि हम इस उपकरण पर निर्भर नहीं हो सकते हैं।

देखा जाए तो भारत की आधी से ज़्यादा आबादी मध्यम वर्गीय है जो की एयर प्यूरीफायर खरीदने में सक्षम नहीं है। गौर किया जाए तो एयर प्यूरीफायर को इसका एकमात्र समाधान मानना भी गलत होगा। बड़े-बड़े विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण से बचने के लिए इसका एक मात्र उपाय है इसको कम करना। एयर प्यूरीफायर को जिंदगी से जुड़ा अनिवार्य उपकरण बनाने की बजाय हमें अपने पर्यावरण को ठीक करने पर अपना ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।

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