क्या 63 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन बिखरते बिखरते बचा।

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बीते 63 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन कल बिखरता बिखरता बचा। किसान आंदोलन के जानकारों के अनुसार बीती रात इस आंदोलन को सिसौली गांव की पंचायत व जींद के किसानों ने एकजुटता का उद्धरण देते हुए टूटने से बचा लिया। रातों-रात हुई पंचायतों और बड़ी संख्या में किसान दिल्ली पहुंचे से किसान आंदोलन को फिर से एक आशा की किरण दी है ।

गणतंत्र दिवस के दिन दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के बाद से किसान आंदोलन में एक बिखराव सा दिख रहा था। कल शाम को गाजीपुर बॉर्डर खाली करवाने के लिए हजारों की संख्या में पुलिस बल को लेकर दिल्ली व उत्तर प्रदेश के आला अफसर धरना स्थल पर पहुंचे थे और सब को लग रहा था कि अब यह आंदोलन अगले कुछ घंटो में समाप्त हो जाएगा। आंदोलन कर्ताओ की और से यह दावा भी किया गया कि इस दौरान भाजपा के दो विधायक और उनके कुछ समर्थक धरना स्थल पर पहुंच चुके हैं और उनपर किसानों के साथ मारपीट करने का भी आरोप लगाया गया। पुलिस पर भी आरोप लगाया गया कि पुलिस का पूरा सपोर्ट भाजपाइयों के साथ था।

ऐसी परिस्थिति उत्पन होते देखकर राकेश टिकैत भावुक हो गए और एक समय वह रो भी पड़े थे। उन्होंने कहा कि भाजपाई किसानों को मार डालेंगे। राकेश टिकैत ने साफ-साफ कहा कि मैं तो शांति पूर्वक गिरफ्तारी देने वाला था किंतु किसानों के साथ बर्बरता नहीं होने दूंगा। और उन्होंने अनशन शुरू कर घोषणा कर दी कि अब मैं पानी भी तभी पीयूगा जब गांव से मेरे किसान खुद पानी लेकर आएंगे। इस पूरे घटनाक्रम को देखकर देर रात सिसौली में पंचायत हुई इस पंचायत में आसपास के 20- 25 गांवों  के किसान हिस्सा लेने पहुँचे।

पंचायत में घोषणा की गई कि किसानों को जबरन उठाया गया तो आर पार की लड़ाई शुरू कर दी जाएगी। पंचायत ने यह भी फैसला किया कि आज मुजफ्फरनगर में किसान महापंचायत करेंगे। आज सुबह होते-होते गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों की भारी भीड़ जुट चुकी थी और पुलिस ने दोनों ओर से गाजीपुर बॉर्डर बंद कर दिया है। मुजफ्फरनगर में महापंचायत भी चल रही है। तमाम किसान आंदोलन के जानकारों के अनुसार बीती रात पश्चिमी उत्तर प्रदेश व हरियाणा के किसानों ने आंदोलन को टूटने से बचा लिया।

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