कोरोना वायरस से ब्लड क्लॉटिंग, संक्रमित व्यक्ति में मृत्यु का ज़्यादा खतरा।

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हम सभी जानते हैं पूरे देश भर में कोरोना महामारी से लोग जूझ रहे हैं। ऐसे में डॉक्टरों और शोधकर्ताओं की खोज लगातार जारी है। हाल ही में यह बात सामने आई है कि कोरोना वायरस शरीर में प्रवेश कर ब्लड क्लोटिंग का काम करता है। जिससे मृत्यु होने की ज्यादा संभावना हो जाती है। डॉक्टर वेद प्रकाश ने इस बात की पुष्टि की है, जो कोविड थिंक टैंक के सदस्य और लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल के पलमोनरी एन्ड क्रिटिकल केअर मेडिसिन के विभागाध्यक्ष डॉक्टर हैं।

डॉक्टर वेद प्रकाश ने बताया कि, कोरोना वायरस शरीर में घुस कर फेफड़ों कि नसों में ब्लड क्लोटिंग करता है, जिसकी वजह से ऑक्सीजन का फ्लो रुक जाता है। यही कारण है कि कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की अचानक मृत्यु हो जा रही है। डॉक्टरों का मानना है, बाकी दूसरी बीमारियों की तुलना में कोरोना वायरस ज़्यादा ब्लड क्लोटिंग करता है। दुनिया भर में ब्लड क्लोटिंग के कई मामले सामने आ चुके हैं। हालांकि अभी इस पर रिसर्च जारी है कि, आखिर कोरोना वायरस से ब्लड क्लोटिंग की समस्या क्यों हो रही है।

डॉक्टर वेद प्रकाश ने बताया कि, हम कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लड क्लोटिंग की पुष्टि करने के लिए डी डायमर्स टेस्ट करवाते हैं। डायमर्स का लेवल अगर बढ़ा हुआ होता है तो हम मरीजों में खून के थक्के को कम करने के लिए दवा देते हैं। जिससे कि शरीर में जमा हुआ थक्का कम और पतला हो सके। ऐसा होने से मरीज को बचा पाना आसान हो जाता है। ब्लड क्लोटिंग का पता एक्स- रे या सीटी स्कैन से भी लगाया जा सकता है। हालांकि इसकी सही जांच ऑटोप्सी से कि जा सकती है। इसमें मरीज के शरीर के ऑर्गंस निकाल के पता लगाया जाता है कि मरीज की मौत ब्लड क्लोटिंग से हुई है या किसी और कारण से।

बहुत सी रिपोर्ट के मुताबिक ब्लड क्लोटिंग की समस्या 30% गंभीर कोरोना संक्रमित मरीजों में हो रही है। जिसकी वजह से मृत्यु दर में भी वृद्धि हो रही है। कोरोना संक्रमण से ब्लड क्लोटिंग होने के कई कारण बताए जा रहे हैं।

कहा जा रहा है कि, कोरोना संक्रमण की वजह से मनुष्य की इम्यून सिस्टम इन्फ्लेमेटरी रेस्पॉन्स को हाइपरेक्टिव कर देता है। जिससे शरीर में ब्लड क्लोटिंग होना शुरू हो जाता है। जिन व्यक्ति में ब्लड क्लोटिंग की समस्या पहले से ही होती है, जैसे बुजुर्ग, ज़्यादा वजन, डायबिटीज , हाइपरटेंशन के मरीजों में इसका खतरा ज़्यादा बढ़ जाता है।

इसके अलावा साइंस मैगज़ीन नेचर में छपे आर्टिकल के अनुसार यह बताया गया है कि कोरोना वायरस एंडोथेलियल सेल्स (रक्त धमीनियों) पर हमला करता है और एसीई-2 रिसप्टर को जटिलता से जकड़ लेता है। और रक्त धमनियां प्रोटीन रिलीज करते हैं। जिससे शरीर में ब्लड क्लोटिंग की समस्या शुरू होने लगती है।