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14 जनवरी को महा कुंभ का पहला स्नान, भारी मात्रा में देखने को मिली श्रद्धालुओं की भीड़।

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मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर महा कुंभ का पहला स्नान आयोजित किया गया। महा कुंभ को लेकर हमेशा से ही श्रद्धालुओं में काफी उत्सुकता रहती है। हालांकि इस बार कोरोना के कारण बहुत जोरों शोरों से महा कुंभ का आयोजन नहीं किया गया। फिर भी श्रद्धालुओं में वही जोश और उमंग देखने को मिला।

महा कुंभ का हिन्दू धर्म में बहुत महत्त्व है। यहां पूरे देश भर से श्रद्धालू शामिल होते हैं। करोड़ों की तादाद में भक्तजन महा कुंभ का हिस्सा बनते हैं। इस बार महा कुंभ की शुरुआत 14 जनवरी को मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर हरिद्वार से कि गयी है। हिन्दू धर्म के अनुसार मान्यता है कि, मकर संक्रांति के दिन गंगा में स्नान करने से सारे पापों का नाश होता है साथ ही मोक्ष के प्राप्ति का मार्ग भी खुल जाता है। आपको बता दें, महा कुंभ को इस दुनिया का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण धार्मिक सम्मेलन माना जाता है।

महा कुंभ में पहुंचे के लिए श्रद्धालुओं ने सुबह तकरीबन 3 बजे से हरकी पैड़ी पर पहुंचना शुरू कर दिया था। कड़ाके की सर्दी में भी श्रद्धालुओं में भरपूर भक्ति और आस्था देखने को मिली। सुबह के 4 बजे ही भक्तजनों ने गंगा में शाही स्नान लिया। इस बार महा कुंभ में 6 प्रमुख स्नान का आयोजन किया गया है। पहले शाही स्नान का आयोजन 14 जनवरी 2021 को मकर संक्रांति के दिन किया गया था। दूसरा प्रमुख स्नान 11 फरवरी को आयोजित किया गया है। इस दिन मौनी अमावस्या है जो कि बहुत शुभ दिन माना जाता है। तीसरा प्रमुख स्नान का आयोजन 16 फरवरी को वसंत पंचमी के शुभ पर्व पर रखा गया है। इसके अलावा चौथा स्नान 27 फरवरी माघ पूर्णिमा के दिन किया जाएगा। पांचवा प्रमुख स्नान अप्रैल माह में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को 13 तारीख के दिन आयोजित किया गया है। इस दिन को हिन्दू धर्म के नव वर्ष के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ छठा और अंतिम प्रमुख स्नान 21 अप्रैल को राम नवमी के दिन आयोजित किया जाएगा।

हमारे हिन्दू धर्म के अनुसार महा कुंभ की बहुत मान्यता है। ऐसा माना जाता है कि महा कुंभ में गंगा स्नान करने से हर प्रकार की परेशानियों से मुक्ति मिल जाती है। कुंभ में स्नान, दान, पूजा आराधना से जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

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