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‘अक्षय तृतीया’ का क्या है महत्त्व, पूजा और इसकी विधि के बारे में जानें।

हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है। यह हर साल वैसाख के महीने में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन, जब सूर्य और चंद्रमा का प्रभाव सबसे उच्च होता है, इस तिथि को हिन्दू धर्म ने बहुत ही ज्यादा शुभ माना जाता है। इसी दिन को अक्षय तृतिया के नाम से जाना जाता है। इस दिन का बहुत ही खास महत्व होता है। इस साल यह शुभ तिथि 14 मई को मनाई जाएगी। ऐसा भी माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन कोई भी शुभ कार्य करने से उसके परिणाम बहुत सुखद होते हैं।

अक्षय तृतीया के दिन का बहुत खास महत्व होता है। सात ही इस दिन से पुराणों के जरूरी वृतांत भी जुड़े हुए हैं। पौराणिक कहे अनुसार, इस शुभ तिथि के दिन ही भगवान परशुराम जी के जन्मदिन के लिए भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि, इस दिन भगवान विष्णु जी ने अपना छठा रूप अपनाया था। और माता रेणुका के कोख से भगवान परशुराम जी के अवतार में हम लिया था। भगवान परशुराम जी चिरंजीवी थे इसलिए इस दिन को चिरंजीवी तिथि के नाम से भी जाना जाता है।

अक्षय तृतीया के दिन से जुड़े अहम तथ्य–इस दिन से सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत होती है। इसी दिन मां गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ था। अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था। इसके अलावा भगवान विष्णु जी के अवतार हयग्रीव और नर–नारायण के रूप अवतरित हुए थे। इसी शुभ तिथि के दिन श्री बद्रीनाथ तीर्थस्थल के पट खोले जाते हैं। इस दिन ही वेदव्यास और श्रीगणेश जी के द्वारा महाभारत ग्रंथ के लेखन की शुरुआत की गई थी। अन्य और भी वृतांत इस शुभ तिथि से जुड़े हुए हैं।

क्या आप जानते हैं अक्षय तृतीया के दिन को इतना शुभ क्यों माना जाता हैं?

अक्षय तृतीया की तिथि को सर्वसिद्धि प्राप्त होने वाली तिथि माना जाता है। यानी की इस दिन आप किसी भी प्रकार के शुभ कार्य, मांगलिक कार्यक्रम कर सकते हैं। हालांकि कोई भी मांगलिक कार्य करने से पहले शुभ दिन, शुभ समय अथवा शुभ मुहुर्त का निकलवाना पड़ता है और उसी अनुसार हम अपने कार्य करते हैं। लेकिन अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही ज्यादा शुभ होता है। इस दिन आपको कोई भी मांगलिक कार्यक्रम करने के लिए पंडित जी से शुभ मुहुर्त निकलवाने की जरूरत नहीं होती। इसीलिए यह दिन सर्वसिद्धि तिथि कहलाती है। इसके अलावा इस दिन सोना खरीदने की भी बहुत मान्यता है। इस तिथि को सोना खरीदने से समृद्धि बढ़ती है। ऐसा भी माना जाता है कि अक्षय तृतीया के दिन अपनी कमाई में से कुछ दान करना चाहिए।

बता दें कि, अक्षय तृतीया के दिन की मान्यता है, आप शादी, विवाह, गृह प्रवेश आदि जैसे कार्यक्रम बिना किसी शुभ मुहूर्त के कर सकते हैं। इसके आलावा ऐसा माना जाता है कि, इस तिथि को अगर आप। अपने अनजाने में हुए किसी भी गलती की माफी सच्चे दिल से माफ़ी मांगते है तो भगवान आपकी गलती अवश्य माफ कर देते हैं। साथ ही आपको धर्म, सच्चाई और न्याय के रास्ते चलने की शक्ति भी प्रदान करते हैं। 

आइए जानते हैं अक्षय तृतीया की शुभ तिथि पर पूजा की विधि क्या है।

अक्षय तृतीया के दिन सर्वसिद्धि की तिथि मानी जाती है। इसलिए इस दिन सभी लोग भगवान विष्णु जी की आराधना करते हैं। महिलाएं व्रत भी रखती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में ही गंगाजल से नहाकर साफ सुथरे कपड़े पहन कर, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की प्रतिमा पर अक्षत चढ़ाया जाता है। शांत मन से सफेद कमल या सफेद गुलाब का फूल, अगरबत्ती, धूप, और चंदन के साथ भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। इसके अलावा जौ, गेहूं, चीनी, ककड़ी, सत्तू चने की दाल आदि का चढ़ावा करना चाहिए।

इस दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाना चाहिए साथ ही वस्त्र, गौ, फूल, पंखे, खड़ाऊ, भूमि, कुल्हड़, पानी से भरा घड़ा, बर्तन, चीनी, चावल, नमक, घी, साग, आदि वस्तुओं का दान करना चाहिए। और आशीर्वाद लेना चाहिए।

इसके अलावा यह भी पौराणिक कथा जुड़ी हुई है। ऐसा माना जाता है कि महाभारत में पांडवों के  वनवास के समय भगवान कृष्ण जी ने पांडवों को अक्षय पात्र भेंट किया था। जिसके जरिय उन्हें वनवास के समय भोजन की तलाश में भटकना न पड़े। इसी के साथ अन्य पौराणिक कथाएं अक्षय तृतीया के शुभ दिन से जुड़ी हुई हैं।

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