Home राष्ट्रीय किसान बैठे भूख हड़ताल पर, कृषि मंत्री से होगी बातचीत।

किसान बैठे भूख हड़ताल पर, कृषि मंत्री से होगी बातचीत।

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कृषि नियमों को वापस लेने के उद्देश्य से किसानों का आन्दोलन पिछले महीने नवंबर से चला आ रहा है। धीरे-धीरे यह आन्दोलन तेज़ी पकड़ रहा है। आज सोमवार को किसान कर रहे हैं भूख हड़ताल। किसानों का कहना है जब तक कृषि कानून को वापस नहीं लिया जाता, तब तक जारी रहेगा यह आन्दोलन।

अब तक कई दौर की बातें किसान और सरकार के बीच हो चुकी हैं। हालांकि अभी तक न ही कोई बीच का फैसला निकल पाया है न ही किसानों की मांग पूरी की गई है। इसके अलावा कृषि आन्दोलन पूरे देशभर में जारी रहेगा इसकी सूचना भी किसानों ने दी है। 

जानकारी के लिए बता दें, पिछले मंगलवार को भारत बंद का ऐलान किया गया था। इसका समर्थन अन्य पार्टी के नेता और ट्रेड यूनियन द्वारा भी किया गया था। 

किसान अपने आंदोलन को जारी रखते हुए सोमवार को कलेक्टरेट ऑफिस का घेराव करंगे। साथ ही सुबह 8 बजे से शाम के 5 बजे तक भूख हड़ताल पर बैठेंगे। यह अनशन किसान आन्दोलन का ही हिस्सा है। इसका समर्थन करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को किसानों के साथ भूखे रहना का फैसला किया साथ ही उन्होंने आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं से भी इसका समर्थन करने की अपील की।

किसान आन्दोलन के विषय में बातचीत के लिए गृह मंत्री के आवास पर बैठक की गई। इसमें कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैबिनेट सेक्रेटरी राजीव गाबा समेत गृह सचिव अजय कुमार भल्ला मौजूद रहे। किसानों ने अपना प्रदर्शन जारी करते हुए, केंद्रीय मंत्री से कहा कि सरकार कोई एक तारीख तय कर अगले दौर के वार्तालाप की सूचना जल्दी हम तक पहुंचा दें।

आपको बता दें, किसानों के ट्रैक्टर मार्च को ध्यान में रखते हुए दिल्ली जयपुर हाईवे को रविवार को बंद करवा दिया था। इसके बाद राजस्थान और हरियाणा के किसानो ने अपने मार्च को दिल्ली तक जारी किया। इसको रोकने के लिए तकरीबन 4000 तक पुलिसकर्मी फरीदाबाद, गुड़गांव में तैनात किए गए थे।

इतने दिन से जारी किसान आन्दोलन चलते रहने से किसान नेता बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, अब हमें कुछ नहीं करना है, जो भी करना है सरकार को करना है। हम अपना प्रदर्शन शांतिपूर्वक तरीके से जारी रखेंगे। सरकार को कृषि कानूनों को वापस ले लेना चाहिए। इसके साथ ही बलदेव सिंह सिरसा ने कहा, सरकार को किसानों के धैर्य का इम्तिहान नहीं लेना चाहिए। पहले तो किसानों को पाकिस्तानी कहा गया, इसके बाद बोला गया कि यह आन्दोलन चीन चला रही है। फिर किसानों को नक्सलवादी कहा गया। ऐसा कब तक चलेगा। कृषि आन्दोलन ऐसे ही जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं की जाती।

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