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दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पलटा दिल्ली सरकार का बाहरी मरीज़ों का इलाज न करने का फैंसला।

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दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पलटा दिल्ली सरकार का बाहरी मरीज़ों का इलाज न करने का फैंसला।

पिछले कई दिनों से दिल्ली में बाहरी मरीज़ों के इलाज़ को लेकर सियासत काफी तेज़ हो गयी है। दिल्ली सरकार और दिल्ली के मुख़्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल चाहते थे कि दिल्ली सरकार के आधीन आने वाले अस्पतालों में केवल दिल्ली के नागरिकों का ही इलाज़ किया जाये जिसके लिए उन्होंने आर्डर भी जारी कर दिया था। उनका तर्क था कि दिल्ली में कोरोना के केस काफी बढ़ गए है और आने वाले समय में अस्पतालों में बिस्तर कम पड़ने की आशंका है। लेकिन आज दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने दिल्ली सरकार का बाहरी मरीज़ों का इलाज न करने का फैंसला पलट दिया और साथ ही कि ऐसिम्प्टमैटिक लोग जो किसी कोरोना मरीज़ संपर्क में आये हो वह 5 से 10 दिन के अंदर अपना कोरोना टेस्ट करवा सकते है।

दिल्ली के मुख़्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि LG साहिब के आदेश ने दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या और चुनौती पैदा कर दी है। उन्होंने यह भी काया कि देशभर से आने वाले लोगों के लिए करोना महामारी के दौरान इलाज का इंतज़ाम करना बड़ी चुनौती है। शायद भगवान की मर्ज़ी है कि हम पूरे देश के लोगों की सेवा करें। हम सबके इलाज का इंतज़ाम करने की कोशिश करेंगे।

वहीं दिल्ली के उपमुख़्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया भी एल जी के इस कदम से काफी नाराज़ दिखे और उन्होंने बीजेपी पर हमला करते हुए अपने ट्वीट में लिखा कि बीजेपी की राज्य सरकारें PPE किट घोटालों और वेंटिलेटर घोटालों में व्यस्त हैं। दिल्ली सरकार सोच समझकर, ईमानदारी से इस डिज़ास्टर को मैनेज करने की कोशिश कर रही है। यह बीजेपी से देखा नहीं जा रहा इसलिए LG पर दबाव डालकर घटिया राजनीति की है।

इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है। यहाँ पूरे देश से लोग अपने जरूरी कार्यों से आते रहते हैं। ऐसे में यदि कोई व्यक्ति अचानक बीमार पड़ जाता है तो उसको यह कहकर कि वह दिल्ली का नहीं है इसलिए दिल्ली सरकार उसका इलाज नहीं होने देगी, यह अति-दुर्भाग्यपूर्ण। केन्द्र को इसमें जरूर दखल देना चाहिये।

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