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पर्सनल लोन के नाम पर 10 करोड़ का घोटाला, 21 साल का युवक था मास्टरमाइंड।

मध्य प्रदेश: भोपाल पुलिस ने फ्रॉड करने वाले गिरोह का किया पर्दाफाश। पर्सनल लोन देने के बहाने से तकरीबन 10 करोड़ का किया फ्रॉड। इस फ्रॉड का मास्टरमाइंड महज 21 वर्ष का युवक था। इस मास्टरमाइंड के अलावा तीन और साथी शामिल थे, जिन्हें यूपी के नोएडा में पकड़ लिया गया है।

पिछले साल जनवरी 2019 में एक युवक पद्मेश सिंह ने साइबर क्राइम ब्रांच में शिकायत दर्ज की थी। युवक ने जानकारी दी थी कि मैंने www.swiftfinance.in साइट पर पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया था लेकिन मेरे साथ धोखा किया गया। जब इस शिकायत की जांच राज्य साइबर क्राइम द्वारा की गयी तब एक बड़े धोखेबाज गिरोह का पर्दाफाश हुआ। छानबीन में पता चला कि यह गिरोह फर्जी वेबसाइट बना कर लोगों को पर्सनल लोन देने के नाम पर धोखाधड़ी करता था। इस केस की जांच के लिए एडीजी उपेन्द्र जैन ने भोपाल के साइबर क्राइम सब इंस्पेक्टर सुनील रघुवंशी को नोडल अधिकारी नियुक्त किया।

आपको बता दें, इस गिरोह का मुख्य भागीदार डेविड कुमार जाटव ने अपनी मंगेतर नेहा भट्ट के साथ मिल कर लगभग 10 हज़ार लोगों के साथ फ्रॉड कर 10 करोड़ रुपए की धोखधड़ी की है। साइबर क्राइम ब्रांच जांच कर अब तक 10 से ज़्यादा फर्जी वेबसाइट का पता लगा चुकी है। साथ ही एक हज़ार लोगों से इस फ्रॉड के सिलसिले में संपर्क कर चुकी है।

आपको बता दें, 21 वर्षीय डेविड कुमार जाटव गाजियाबाद का रहने वाला है। इसने ने बीकॉम किया है। डेविड कुमार जाटव आरडी-1 वेब सॉल्यूशन नाम की एक फर्जी आईटी कंपनी चलाता था। इसके कॉल सेंटर में 50 से ज़्यादा युवतियां काम करती थी। डेविड अपनी मंगेतर नेहट भट्ट के साथ यह फर्जी धंधा करते थे। नेहा डेविड के फर्जी वेबसाइट का प्रबंधन करती थी। साथ में नेहा की बहन मनीषा भट्ट डेविड के कॉल सेंटर का प्रबंधन करती थी। पुलिस ने छापेमारी कर नोएडा में आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके पास से 21 पेनड्राइव, 6 लैपटॉप, 8 एक्टिवेटेड सिम कार्ड, 19 डेबिट कार्ड, 25 मोबाइल फोन के साथ फर्जी वेबसाइट के डॉक्युमेंट्स बरामद किए गए हैं।

मुख्य आरोपी डेविड, फर्जी वेबसाइट बना कर गूगल के माध्यम से प्रचार करता था। जब लोग लोन के लिए अप्लाई करते थे तो कॉल सेंटर द्वारा फोन कर लोगों से किसी ना किसी बहाने से 30-35 हज़ार रुपए फर्जी अकाउंट में ट्रांसफर करवा लेते थे। दो से ढाई महीने के अंतराल में ही फर्जी वेबसाइट को बंद कर दिया जाता था। लगभग 10,000 लोगों के साथ इस गिरोह ने धोखेबाजी की है। इसके अलावा अपराधियों ने नोएडा में डेढ़ लाख रुपए प्रति माह किराया पर एक ऑफिस खोला था। ऑफिस के कर्मचारियों से पूछताछ से ही पता लग पाया की आरोपियों ने 10 करोड़ का फ्रॉड 10 हजारों लोगों के साथ किया है।

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