इस बार कोविड-19 के संक्रमण के कारण भाई-बहन के पवित्र रिश्ते के त्योहार रक्षाबंधन पर मिठाई उद्योग को पांच हजार करोड़ से अधिक का घाटा होने का अनुमान है। कोरोना वायरस ने इस वर्ष मिठाई कारोबार की मिठास को फीका कर दिया है। मिठाई निर्माताओं के एक राष्ट्रीय महासंघ का मानना है कि ग्राहकों की क्रय शक्ति महामारी की वजह से खत्म हो चुकी है और इसके अलावा अलग-अलग राज्यों में प्रशासन के कथित कुप्रबंधन के कारण भी रक्षाबंधन पर मिठाइयों की बिक्री घटकर आधी रह जाने वाली है। इससे मिठाई उद्योग को करीब 5,000 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स के निदेशक फिरोज एच. नकवी ने रविवार को ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा है कि “पिछले साल रक्षाबंधन के मौके पर देशभर में करीब 10,000 करोड़ रुपये की मिठाइयां बिकी थीं लेकिन इस बार यह आंकड़ा 5,000 करोड़ रुपये के आस-पास सिमट जाने का अनुमान है।” नकवी ने मोटे अनुमान के हवाले से बताया कि रक्षाबंधन से जन्माष्टमी के बीच होने वाला मिठाई कारोबार सालभर में इसकी कुल त्योहारी बिक्री का करीब 25 फीसद होता है।
केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों पर कोरोना से लड़ाई के दौरान स्थानीय जरूरतों के हिसाब से नियम बनाने का अधिकार दे दिया है। मिठाई कारोबार में माल जल्दी खराब होता है और अगर मिठाई निर्मित हो जाने के बाद एक दिन भी ज्यादा रह गयी तो उसे फेंकना ही पड़ता है। दूध और खोवे से बनी मिठाईयों को बहुत कम अंतराल पर ही सेवन करना ठीक होता है।
ऐसे में अगर बाज़ार के खुलने या बंद होने को लेकर अनिश्चिंतता बनीं रहेगी तो मिठाई कारोबार हजारों करोड़ रुपये के घाटे में चला जाएगा। फेडरेशन ऑफ स्वीट्स एंड नमकीन मैन्युफैक्चरर्स ने मांग की कि देशभर में प्रशासन अपनी भूल सुधारते हुए समय पर अग्रिम योजना घोषित करे कि आने वाले त्योहारों पर मिठाइयों की दुकानें कब खुली रहेंगी, ताकि इनके निर्माता पहले से इसके मुताबिक तैयारी कर सकें।